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सूरज, चाँद और धरती क्यों हैं?

Why is there a Sun and Moon and Earth?

Physics Al Qamar Academy (Small Science) சென்னை (Chennai) , Tamil Nadu

कोई नहीं जानता कि सूरज और चाँद और धरती क्यों हैं। कुछ लोग सोचते हैं कि पृथ्वी इसलिए है ताकि हम उस पर ज़िन्दा रह सकें। वही लोग यह कहेंगे कि सूरज इसलिए है ताकि पौधे खुद के लिए और हम सबके लिए खाना उत्पन्न करने के लिए सूरज की रोशनी का इस्तेमाल कर सकें। और बिलकुल, यदि सूरज नहीं होगा तो दिन एवं रात नहीं होंगे और आपको यह पता नहीं चलेगा कि कब सोना है और कब उठना है। और चाँद इसलिए है ताकि आप उसके बारे में कविताएँ लिख सकें। ये लोग हमेशा यह सोचते हैं कि हर चीज़ का कोई-न-कोई उद्देश्य होता है। वे लोग कहेंगे कि आपके पास कान इसलिए हैं ताकि आप धूप का चश्मा पहन सकें। इसे ही कहते हैं कि अब तो हद ही हो गई! हालाँकि, जैसा कि आप जानती हैं कि हमारे कान इसलिए नहीं होते ताकि हम धूप का चश्मा पहन सकें। हर चीज़ को किसी-न-किसी उद्देश्य के लिए इस्तेमाल तो किया जा सकता है लेकिन आप यह नहीं कह सकतीं कि यह चीज़ इस उद्देश्य के लिए ही बनाई गई थी या कि यह चीज़ इस उद्देश्य के लिए अस्तित्व में है।

कोई चीज़ अस्तित्व में इसलिए भी रह सकती है क्योंकि उसे किसी और उद्देश्य के लिए बनाया गया था, या फिर किसी भी उद्देश्य के लिए नहीं बनाया गया था। बहुत-सी चीज़ें किसी घटना का परिणाम होती हैं। उदाहरण के लिए, ऐसा कहा जाता है कि सारे महाद्वीप पहले एक ही थे। एक अकेला महाद्वीप जो लाखों साल पहले अस्तित्व में था उसका नाम पेंजिया था। कुछ समय बाद पेंजिया टुकड़ों में बँट गया। यह सब संयोगवश हुआ था। और यह भी एक संयोग ही था कि पेंजिया के टुकड़े एक विशिष्ट आकार में हुए थे - दरअसल वह किन्हीं खास आकारों में नहीं टूटा था लेकिन आज हम सोचते हैं कि वह बहुत ही खास आकारों में विभाजित हुआ था। वह किन्हीं अन्य आकारों में भी टूट सकता था और हम तब भी यही बात कहते। जैसे यदि हम एक मिट्टी का खिलौना गिराएँगे तो वह कुछ आकार के टुकड़ों में टूट जाएगा। हालाँकि, यदि हम उसी खिलौने को फिर से गिराएँ तो वह बहुत अलग आकारों के टुकड़ों में टूट सकता है। आकारों के सन्दर्भ में ‘क्यों’ जैसा कुछ नहीं होता - वे ऐसे ही बनते/होते हैं।

अब यदि पेंजिया के ये टुकड़े द्रव पर तैर रहे हैं तो वे बहेंगे - मतलब, वे यहाँ-से-वहाँ जाएँगे। इसलिए धीरे-धीरे वे एक-दूसरे से दूर जा सकते थे। या वे एक-दूसरे से टकरा भी सकते थे। दोनों तरह की चीज़ें हुईं और जब दो टुकड़े टकराए तो उनमें से एक अन्दर चला गया जबकि दूसरा वाला ऊपर उठता चला गया। और इस तरह हिमालय बना। तो हिमालय का बनना एक संयोग था। हम पूछ सकते हैं कि हिमालय क्यों है।

इसी तरह पृथ्वी, चाँद, सूरज और दूसरे सारे तारे अस्तित्व में आए थे। वैज्ञानिकों ने कई सिद्धान्त तैयार किए थे, यह समझाने के लिए कि ये सारी चीज़ें अस्तित्व में कैसे आईं लेकिन हम यह नहीं जानते कि इसका कोई उद्देश्य है या नहीं। बस इनका अस्तित्व है।

जैसा कि मैंने ऊपर कहा है, बहुत-सी चीज़ें जो हम अपने चारों तरफ देखते हैं वे कुछ संयोगवश हुई घटनाओं की वजह से हैं। हालाँकि, ऐसी बहुत-सी चीज़ें हैं जो वैसी ही होती हैं जैसी उनको होना चाहिए क्योंकि प्रकृति के निश्चित नियम-कानून होते हैं जिस वजह से चीज़ें एक निश्चित तरीके से होती हैं। उदाहरण के लिए, यदि कोई चीज़ ऊपर की तरफ फेंकी जाए, वह अन्तत: धरती पर ही वापस आती है। इसलिए, ज़्यादातर चीज़ें धरती पर मिलती हैं, ऊपर हवा में नहीं। वैज्ञानिकों का मुख्य काम प्रकृति के नियमों को समझना है।

वैज्ञानिकों ने पृथ्वी, चाँद, सूरज, सौरमण्डल, तारे, आकाशगंगाओं आदि के अस्तित्व के बारे में काफी विचार किया है। इन चीज़ों के बारे में उनकी कुछ समझ भी बनी है। यदि इन चीज़ों के बारे में आप जानना चाहती हैं तो हमें फिर से लिखें।

Eklavya Foundation

Author

Sandarbh; Issue 92; May - Jun 2014

Publication

Kumar Mohit

Submitter

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