सजीव और निर्जीव में सम्बन्ध समझने से पहले हमें यह देखना होगा कि सजीव और निर्जीव किसे कहते हैं? जीवन की कुछ प्रक्रियाएं हैं, जैसे सांस लेना, चलना-फिरना, खाना-पीना, मलत्याग करना, बच्चे पैदा करना, आदिl जो इन प्रक्रियाओं दर्शाते हैं उन्हें हम सजीव कहते हैं, और इन प्रक्रियाओं को जैविक प्रक्रियाएंl इसके विपरीत निर्जीव इन प्रक्रियाओं को प्रदर्शित नहीं करतेl हम अपने आस पास सजीवों और निर्जीवों को देखकर पहचान पाते हैं, जैसे गाय, कुत्ता, चूहा, पेड़-पौधे सजीव हैंl इन्हें जैविक प्रक्रियाएं करते हुए देख सकते हैंl इसके विपरीत पलंग, टेबल, हवा, पानी आदि को हम निर्जीव की श्रेणी में रखते हैंl कुछ ऐसे सजीवों के बारे में भी हम जानते हैं जिन्हें हम आँखों से नहीं देख पाते - इन्हें सूक्ष्मजीव कहते हैं l लेकिन किसी सूक्ष्म जीव और धूल के कण में अंतर कर पाना एक मुश्किल काम हैl इनमें अंतर करने के लिए हम एक उपाय कर सकते हैं - यदि किसी जीवित कण को उपयुक्त माध्यम (जिसमे जीवन की उपयुक्त परिस्थितियां हों जैसे पानी, भोजन आदि) रखा जाता है तो वह अपनी संख्या में वृद्धि करता है जबकि निर्जीव कण के लिए किसी भी माध्यम में वृद्धि कर पाना संभव नहीं हैl इस तरह हम सजीव और निर्जीव में अंतर कर सकते हैंl इससे हम यह कह सकते हैं कि सजीव कण हमेशा सजीव कण से ही उत्पन्न हो सकता है जबकि निर्जीव कण सजीव के मरने से और निर्जीवों से, दोनों से उत्पन्न हो सकते हैंl
अब यदि हम एक उदाहरण की बात करें वायरस (विषाणु), जो कि कभी सजीव है और कभी निर्जीवl यह बड़ा ही अजीब है कि एक ऐसा कण जो सजीवों के अन्दर जाने पर सजीव की तरह व्यवहार करता है जैसे भोजन, प्रजनन इत्यादि लेकिन सजीव के बाहर वह एक धूल के कण के समान हैl हैं न अजीब? वायरस ऐसा इसलिए कर पाते हैं क्योकि वे सजीव के अन्दर जाकर उसी के शरीर में उपस्थित प्रोटीनों का उपयोग कर अपनी वृद्धि करता है जब वह सजीव से संपर्क में नहीं होता तब उसके लिए अपनी वृद्धि कर पाना संभव नहीं होता l
अगर हम जीवन के शुरुआत को देखें तो पता चलता है कि सजीव भी निर्जीवों के एक विशेष प्रक्रिया से लम्बे समय तक गुजरने से बने हैंl सभी सजीव मरने के बाद फिर से निर्जीव तत्वों में शामिल हो जाते हैं - इस प्रकार ये दोनों मिलकर इकोसिस्टम बनाते हैं l
Arpita Pandey Vyas
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